नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले आबी अहमद ने अपने ही देश में एक विरोधी धड़े के खिलाफ जंग छेड़ दी
एक साल पहले नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले इथोपिया के प्रधानमंत्री आबी अहमद ने अपने ही देश में एक विरोधी धड़े के खिलाफ जंग छेड़ दी है। जंग का नतीजा अफ्रीका की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश को लंबे समय के लिए अस्थिर और अशांत कर सकता है। इथोपिया के उत्तरी राज्य तिगरे में लड़ाई लगातार तेज होती जा रही है। अब तक सैकड़ों सैनिक और अनगिनत संख्या में नागरिक वहां मारे जा चुके हैं। आशंका जताई जा रही है कि हिंसा की चपेट में पूरा देश आ सकता है। इसका असर आसपास के दूसरे देशों पर भी पड़ रहा है। आबी अहमद लोकतंत्र, महिलाओं को आगे बढ़ाने और अपने विशाल देश में पेड़ लगाने के वादे के साथ इथियोपिया की सत्ता में आए थे। नोबेल पुरस्कार विजेता ने अपने ही देश के तिगरे में जंगी जहाज और सैनिकों को भेज कर जंग शुरू कर दी। विश्लेषकों का मानना है कि उनका यह कदम अफ्रीका की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश में लंबा गृहयुद्ध छेड़ सकता है।
44 साल के आबी ने चार नवंबर को जब सैन्य अभियान का एलान किया तो उनका कहना था कि यह तिगरे की सत्ताधारी पार्टी की ओर से इथोपिया के दो सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों का जवाब है। तिगरे की सत्ताधारी पार्टी पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ने सैन्य ठिकानों पर हमले के आरोप से इनकार किया है। इलाके में संचार पर फिलहाल पाबंदी है। ऐसे में दावों की स्वतंत्र पुष्टि भी संभव नहीं है। इसी बीच प्रधानमंत्री आबी ने फतह का भी एलान कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि सैकड़ों लोग मारे गए हैं। इतना ही नहीं हजारों लोग पड़ोसी देश सूडान की सीमा की तरफ पलायन कर गए हैं और संयुक्त राष्ट्र मानवीय संकट की चेतावनी दे रहा है।
दुनिया के नेता जंग को तुरंत रोकने और बातचीत शुरू करने की मांग कर रहे हैं। उधर आबी बार-बार देश की ‘संप्रभुता और एकता’ की रक्षा करने की जरूरत और ‘कानून व्यवस्था की फिर से बहाली’ पर जोर दे रहे हैं। देश की रक्षा के लिए युद्ध को जरूरी बताने वाले आबी को एक साल पहले ही ओस्लो में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्हें पड़ोसी देश इरीट्रिया के साथ चली आ रही तनाव को खत्म करने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। 1998 से शुरू हुई इस खूनी जंग में 80 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। आबी ने पुरस्कार लेते वक्त अपने भाषण में कहा था कि ‘जंग, उसमें शामिल सभी लोगों के लिए नारकीय स्थिति का चरम है।’ वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय का कहना है कि वह अपने रुख पर अडिग हैं। उनके प्रेस सचिव ने तो यहां तक कहा कि वह तिगरे के विवाद को सुलझाने के लिए ‘दूसरे नोबेल पुरस्कार’ के हकदार हैं।